Description
यह कहानी मेरी अपनी है ,साल 2019 जब मुझे राष्ट्रीय पत्र लेखन प्रतियोगी में जीत मिलने पर दिल्ली बुलाया गया। मैं अपने पापा के साथ दिल्ली गई । वहा मुझे बहुत मान सम्मान मिला । मैं बहुत खुश थी और उससे ज्यादा खुशी इस बात की थी की मेरे पापा मेरे साथ है और मैं यह खुशी का पल उनके जीवन में ला सकी qki बच्चो की कामयाबी पर सबसे ज्यादा खुशी माता पिता को होती है। जिस वक्त मुझे केंद्रीय मंत्री से द्वितीय आने पर सीटोफिकेट मिला उस टाइम मेरे पापा की आंखों में एक खुशी थी,उनके मन मैं खुशी इस बात की थी की जहा तक कभी हम जाने का सोच भी नही सकते थे , वहा आज मेरी बेटी पहुंच गई है। वो पल आज भी मुझे याद है और वो पल मेरे जीवन का सबसे खूबसूरत पल था।इसलिए शायद हमेशा से कहा जाता है की जब कामयाबी में अपनों का साथ हो तो वो कामयाबी और भी खुशी देती है।
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